
प्राथमिक शिक्षा जो जीवन की बुनियाद है कही न कही शासन व उनके अधिकारियों द्वारा लगातार भेवभावपूर्ण रवैए का शिकार रहा है। सारा प्रयोग प्राथमिक शिक्षा या प्राथमिक शालाओं पर किया जाना है,लेकिन जब जिला स्तर पर शिक्षा गुणवत्ता कार्ययोजना बनाए जाने की बात आती है तो अधिकारी द्वारा प्राथमिक स्तर के किसी भी शिक्षक या उनके संगठन को शामिल नहीं किया जाता।ऐसा ही एक वाकया धमतरी जिला शिक्षाधिकारी द्वारा प्रसारित 23/07/2025 के आदेश में देखने को मिला जहां शिक्षा गुणवत्ता पर चर्चा कर जिला स्तर पर कार्ययोजना बनाए जाने की बात कही गई है।इस हेतु 22 सदस्यों की सूची प्रसारित हुई है जिसमें शिक्षाविद,विकासखंड शिक्षाधिकारी,जनप्रतिनिधि, सेजेस प्राचार्य व नामचीन शिक्षक संगठन शामिल है।आश्चर्य की बात है जिला स्तर पर शिक्षा गुणवत्ता कार्ययोजना निर्माण हेतु कार्यशाला आयोजित हो रही है लेकिन प्राथमिक विभाग से न किसी शिक्षक को और न ही जिले स्तर पर सक्रिय किसी प्राथमिक शिक्षक संगठन को शामिल किया गया है।ऐसा लगता है प्राथमिक विभाग में सब कुछ अच्छा है न उनकी कोई समस्याएं है और न ही उनका कोई अभिमत जिसे तवज्जो दिया जाना आवश्यक हो। हर बार कार्ययोजना कोई और बनाए और प्राथमिक विभाग में थोप दे और बेहतर गुणवत्ता की उम्मीद करे ऐसा होता आया है जिसके कारण अपेक्षानुरूप सफलता प्राप्त नहीं होती।वैसे भी प्राथमिक शालाओं में अब तक पाठयपुस्तक पूर्ण रूपेण प्राप्त नहीं हुए,इधर मासिक मूल्यांकन की समय सारणी जारी हो गई।आखिर प्राथमिक शिक्षा के साथ विभागीय भेदभाव क्यों इस पर सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय प्रवक्ता हुलेश चंद्राकर,जिलाध्यक्ष दौलत ध्रुव,चारों विकासखंड के ब्लॉक अध्यक्ष लुकेश राम साहू कुरूद,तेजलाल साहू धमतरी,शरीफ बैग मिर्जा नगरी,नरेंद्र सिन्हा मगरलोड ने वही
सहायक शिक्षक/ समग्र शिक्षक फेडरेशन जिला इकाई धमतरी ने डीईओ के भेदभावपूर्ण रवैए के प्रति कड़ी नाराजगी प्रकट किय
