
घनश्याम साहू(The Chhattisgarh News)
छ. ग. का सबसे बड़ा शिक्षक संगठन सहायक शिक्षक फेडरेशन का गत 2नवंबर 2025 को भामाशाह भवन रायपुर में प्रांताध्यक्ष का निर्वाचन संपन्न हुआ।संगठन ने मिशाल कायम करते हुए लोकतंत्र की निर्वाचन प्रक्रिया का पालन करते हुए सेवा के इच्छुक तमाम उम्मीदवारों को मौका दिया। जहां दूसरे संगठनों में अमूमन ऐसा देखने को नहीं मिलता,जो एक बार प्रांताध्यक्ष बन गया वह स्वयंभू हो जाता है,निर्वाचन प्रक्रिया अपनाने से घबराते है।सहायक शिक्षक फेडरेशन में इस बार तीन उम्मीदवार मैदान पर थे जिसमें दो संस्थापक सदस्य श्री अजय गुप्ता और अश्वनी कुर्रे तथा तीसरा उम्मीदवार रविंद्र राठौर जो विगत 3, 4सालों से आम साथियों के छोटे छोटे मुद्दों से लेकर क्रमोन्नति जैसे बड़े मुद्दों को लेकर सक्रिय रहने के चलते सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल किया।परिणाम स्वरूप प्रदेश के समस्त 33 जिलाध्यक्ष,146 ब्लॉक अध्यक्ष और 14 संस्थापक सदस्यों ने मिलकर प्रदेश की कमान रविंद्र राठौर के हाथो में दिया,उन्हे अपना प्रांताध्यक्ष चुन लिया।इतना ही नहीं राठौर की लोकप्रियता इतनी अधिक रही कि उसके पैनल के सारे प्रत्याशी सचिव राजू टंडन,उपाध्यक्ष देवेंद्र हरमुख,कोषाध्यक्ष शेषनाथ पांडे को विजय श्री मिली । इस जीत पर प्रांतीय प्रवक्ता हुलेश चंद्राकर, जिलाध्यक्ष धमतरी दौलत ध्रुव,ब्लॉक अध्यक्ष कुरूद लुकेश राम साहू,सचिव हेमलाल साहू,कोषाध्यक्ष फालेशवर कुर्रे ,सहसचिव शंकर लाल मानिकपुरी, विजय निषाद,देवेश ध्रुव,ब्लॉक अध्यक्ष मगरलोड टेमन साहू,ब्लॉक अध्यक्ष धमतरी तेजलाल साहू,ब्लॉक अध्यक्ष नगरी ममता प्रजापति सहित पूरी कार्यकारणी की टीम में बधाई प्रेषित किया है,साथ ही अपेक्षा जताया कि

अब फेडरेशन अपने मुद्दों के लिए ज्यादा मुखर और आक्रामक होगा जिससे वेतन विसंगति और क्रमोन्नत वेतनमान साथियों को दिलाया जा सके।विदित हो कि फेडरेशन के दो बार के अध्यक्ष रहे मनीष मिश्रा ने नए साथियों को मौका देने के लिए प्रांतीय संयोजक के रूप संगठन को मार्गदर्शन देते रहेंगे।वहीं संस्थापक सदस्यों में बसंत कौशिक,सिराज बक्श,कौशल अवस्थी,सी डी भट्ट, रंजीत बैनर्जी के साथ साथ छाया प्रत्याशियों अजय गुप्ता,अश्वनी कुर्रे,शरणदास,संजय कौशिक,हेमकूमार साहू आदि की भूमिका संगठन की गतिविधियों को गति प्रदान करने में अहम होगी। अंत में ब्लॉक अध्यक्ष कुरूद ने रविंद्र राठौर की जीत पर कहा कि यह परिणाम कहीं न कहीं आम शिक्षक साथियों के मुद्दों को लेकर उनसे जुड़े रहने और उनके हक में आवाज बुलंद करने का ही प्रतिफल है।
